हिमाचल प्रदेश की 11 सरकारी योजनाएं महिलाओं के लिए, HP Govt Schemes for women welfare, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना

महिलाओं के कल्याण के लिए हिमाचल प्रदेश में विभिन्न योजनाएं चल रही हैं । प्रमुख योजनाएं जो चलाई जा रही हैं वह इस प्रकार से हैं :-
नारी सेवा सदन मशोबरा :-
इस योजना का मुख्य उद्देश्य , विधवा , बेसहारा तथा निराश्रय महिलाएँ तथा जिनको नैतिक खतरा हो को निःशुल्क आश्रय , खाद्य , कपड़ा , शिक्षा तथा व्यवसायिक प्रशिक्षण देना है । वर्तमान में नारी सेवा सदन मशोबरा में 11 महिलाएं तथा 2017 में 27 महिलाएं रह रही है । महिलाओं को सदन छोड़ने पर पुनर्वास के लिए 20,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है । यदि कोई आवासी शादी करती है तो उसे 51,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है ।
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना :-
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत बेसहारा लड़कियों के परिजनों / संरक्षकों को उनकी लड़की की शादी के लिए 40,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है जिनकी वार्षिक आय 35,000 रुपये से अधिक न हो । वर्ष 2016-17 में इस उद्देश्य के लिए 546.05 लाख रुपये बजट प्रावधान रखा गया जिसमें से 349.15 लाख रुपये खर्च किये गये तथा 1,314 लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया गया ।
महिला स्वरोजगार सहायता :-
इस योजना के अन्तर्गत 5,000 रुपये उन महिलाओं को आय संवर्धन हेतु प्रदान किए जाते हैं जिनकी वार्षिक आय 35,000 रुपये से कम है । इस योजना के अन्तर्गत 2016 में 9.35 लाख का प्रावधान किया गया तथा दिसम्बर , 2016 तक 9.20 लाख रुपये की राशि व्यय करके 184 महिलाओं को लाभान्वित किया गया है ।
विधवा पुर्नविवाह योजना :-
इस योजना का उद्देश्य विधवाओं को पुर्नविवाह के लिए प्रेरित करके पुनर्वास करना है । इस योजना के अन्तर्गत दम्पति को 50,000 रुपये के रूप में अनुदान दिया जाता है । वर्ष 2016-17 के दौरान इस योजना के अन्तर्गत 102.90 लाख रुपये का बजट प्रावधान किया गया जिसमें से दिसम्बर , 2016 तक 79 दम्पतियों को 48.50 लाख रुपये दिए गए ।
मदर टेरेसा असहाय मातृ सम्बल योजना :-
इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली निःसहाय महिलाओं को अपने बच्चों के पालन पोषण हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाना है । इस योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे रह रही निःसहाय महिलाएं , जिनकी आय 35,000 रुपये वार्षिक से कम है तथा जिनके बच्चों की आयु कम से कम 18 वर्ष हो के पालन पोषण हेतु 3,000 रुपये प्रति वर्ष प्रति चल्या सहायता राशि दी जाती है । सहायता केवल दो बच्चों तक ही दी जाती है । इस योजना के अन्तर्गत वर्ष 2016-17 के लिए 1,085.22 लाख रुपये का प्रावधान था जिसमें से दिसम्बर , 2016 तक 541.04 लाख रुपये व्यय किये गए तथा 23,875 बच्चों को लाभान्वित किया गया ।
माता शबरी महिला सशक्तिकरण योजना :-
इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे रह रहे अथवा 35,000 रुपये वार्षिक से कम आय वाले अनुसूचित जाति / अनुसूचित जन जाति के परिवारों की महिलाओं को अनुदान प्रदान करके उन्हें कठिन परिश्रम से राहत दिलवाने के आशय से गैस कनैक्शन खरीदने हेतु सहायता दी जाती है । प्रत्येक वर्ष प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में 75 महिलाओं को लाभान्वित करना है , तथा प्रदेश में 5,100 महिलाओं को लाभान्वित किया जा चुका है । इस योजना के अन्तर्गत गैस कनैक्शन खरीदने पर कुल लागत के पचास प्रतिशत राशि की प्रति प्रदाय जिसकी अधिकतम सीमा 1,300 रुपये है , उपदान के रूप में उपलब्ध करवाई जाती है ।
बलात्कार पीड़ितों के लिए वित्तीय सहायता एवं समर्थन सेवायें योजना 2012 :-
यह योजना दिनांक 22.09.2016 को बतौर 100 प्रतिशत राज्य योजना अधिसूचित की गई है । इस योजना का उद्देश्य बलात्कार पीड़ितों को वित्तीय सहायता तथा परामर्श , चिकित्सा सहायता , विधिक सहायता , व्यावसायिक प्रशिक्षण आदि समर्थन सेवायें प्रदान करने का प्रावधान है । प्रभावित महिला को 75,000 रुपये तक की वित्तीय सहायता देने का प्रावधान है ताकि उनका पुनर्वास किया जा सके । विशेष परिस्थितियों में अवयस्कों को 25,000 रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता देने का भी प्रावधान है ।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना :-
लिंग भेदभाव का समापन , निवारण करने , बालिका की उत्तरजीविता और संरक्षण को सुनिश्चित करने तथा बालिका की शिक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इस योजना को 22.01.2015 से देश के 100 जिलों के साथ जिला ऊना में शुरू किया गया । यह योजना बाल लिंग अनुपात में गिरावट को रोकने और उसमें सुधार कर , वृद्धि करने का प्रयास है । इस योजना के माध्यम से जन समुदाय को घटते हुए लिंगानुपात के दुष्प्रभावों के बारे में जागृत करने के प्रयास किए जा रहे हैं । वित्त वर्ष 2016-17 में यह योजना प्रदेश के दो अन्य जिलों क्रमश : कांगड़ा व हमीरपुर में भी शुरू की गई है । योजना के लागू होने के उपरांत ऊना जिले में लिंगानुपात में सकारात्मक सुधार हुआ हैं ।
बेटी है अनमोल योजना :-
परिवार तथा समुदाय की शिशु कन्या तथा महिलाओं के प्रति नकारात्मक सोच को बदलने तथा लड़कियों के स्कूल में नामांकन के उद्देश्य से बेटी है अनमोल योजना 5.07.2010 प्रदेश में लागू की गई है । इस योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों में जन्म लेने वाली दो बालिकाओं के नाम पर , बैंक / डाकघर में 10,000 रुपये जमा कर दिए जाते हैं तथा पहली कक्षा से जमा दो कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रवृति भी दी जाती है । सरकार ने 23.07.2015 से छात्रवृति की दरों में 50 प्रतिशत की वृद्धि की है । नई / संशोधित दरें 450 रुपये प्रति वर्ष से 2250 रुपये प्रति वर्ष के बीच है ।
किशोरी शक्ति योजना :-
किशोरी शक्ति योजना केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में 11 से 18 वर्ष आयु वर्ग की किशोरियों में साक्षरता को बढ़ावा देने , गृह आधारित एवं व्यवसायिक कौशल में सुधार लाने , उनमें स्वास्थ्य , पोषाहार , स्वच्छता , गृह प्रबन्धन एवं बच्चों की देख – रेख सम्बन्धी ज्ञान को बढ़ाने हेतु संचालित की जा रही है । वित्तीय वर्ष 2014-15 तक यह योजना 100 प्रतिशत केन्द्रीय प्रायोजित थी जो वित्तीय वर्ष 2015-16 से 90:10 के अनुपात में भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा संचालित की जा रही है । योजना प्रदेश ) के 8 जिलों शिमला , सिरमौर , किन्नौर , मण्डी , हमीरपुर , बिलासपुर , ऊना तथा लाहौल – स्पिति में चलाई जा रही है । योजना के अन्तर्गत गैर पोषाहार घटक पर प्रति वर्ष प्रति परियोजना 1.10 लाख रुपये तक व्यय करने का प्रावधान है ।
राजीव गाँधी किशोरी सशक्तिकरण योजना ( सबला ) :-
राजीव गाँधी किशोरी सशक्तिकरण योजना ( सबला ) केन्द्रीय प्रायोजित योजना के रूप में ( 11 से 18 वर्ष आयु वर्ग की ) किशोरियों में साक्षरता को बढ़ावा देने , गृह आधारित एवं व्यावसायिक कौशल में सुधार लाने , उनमें स्वास्थ्य , पोषाहार , स्वच्छता , गृह प्रबन्धन एवं बच्चों की देख – रेख सम्बन्धी ज्ञान को बढ़ाने हेतु संचालित की जा रही है ।
वित्तीय वर्ष 2014-15 तक इस योजना के पोषाहार घटक का व्यय भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा 50:50 अनुपात में वहन किया गया तथा गैर – पोषाहार घटक शत प्रतिशत केन्द्र सरकार द्वारा वहन किया जा रहा था ।
वित्तीय वर्ष 2015-16 से योजना के दोनों घटकों में 90:10 के अनुपात में भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है । सबला योजना प्रदेश के चार जिलों क्रमश : सोलन , कुल्लू , कांगड़ा तथा चम्बा में चलाई जा रही है ।
योजना के अन्तर्गत पोषाहार तथा गैर पोषाहार दो मुख्य घटक है । गैर पोषाहार घटक में 3.80 लाख रुपये प्रति बाल विकास परियोजना प्रति वर्ष व्यय करने का प्रावधान है । पोषाहार घटक में किशोरियों को वर्ष में 300 दिन पोषाहार उपलब्ध करवाया जाता है । पोषाहार पर 5 रुपये प्रति किशोरी प्रति दिन की दर से व्यय किया जाता है । गैर पूरक पोषाहार के अधीन वित्तीय वर्ष 2016-17 में कुल राशि 84.72 लाख थी तथा 44.80 लाख रुपये व्यय किए गए ।
पूरक पोषाहार के अधीन दिसम्बर , 2016 तक 758.16 लाख व्यय किए गए । वित्त वर्ष 31.12.2016 तक 1,45,927 लाभार्थियों को पूरक पोषाहार , 1,27,172 को पोषाहार एवं स्वास्थ्य शिक्षा , 166 को व्यावसायिक प्रशिक्षण , 46,155 को परिवार कल्याण , अर्श बच्चों की देखरेख सम्बन्धी ज्ञान , 10,204 को जीवन कौशल शिक्षा व 2,256 को जन सेवाओं का लाभ प्रदान किया गया हैं । दिसम्बर 2017 तक 1,01,725 को पोषाहार एवं स्वास्थ्य शिक्षा , 8400 को जीवन कौशल शिक्षा , 4055 को सार्वजनिक सेवाओं के प्रयोग के लिए मार्ग दर्शन तथा 402 किशोरियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया गया ।
वन स्टॉप सेन्टर :-
वन स्टॉप सेन्टर एक केन्द्र प्रायोजित योजना है । इस योजना का मुख्य उद्देश्य एक ही छत के नीचे निजी और सार्वजनिक स्थानों में हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एकीकृत सहायता प्रदान करना है तथा महिलाओं के खिलाफ हो रही किसी भी प्रकार की हिंसा से लड़ने के लिए एक ही छत के नीचे चिकित्सकीय , कानूनी , मनोवैज्ञानिक और परामर्श सहायता सहित कई सेवांए तत्काल आपातकालीन और गैर आपातकालीन स्थितियों में प्रदान करना है । हिमाचल प्रदेश में वन स्टॉप सेंटर 26.09.2017 को रेड क्रॉस बिल्डिंग , जोनल हॉस्पिटल सोलन के परिसर में सन्चालित किया गया है ।
मध्यकालीन भारत से आज तक देश की महिलाओं का शोषण तथा उन पर प्रतिबंध एक परम्परा सी बन गया है । आधुनिक भारत के संविधान में पुरुष व महिला को समान अधिकार मिले हैं , फिर भी सामाजिक रूढ़ियों के कारण महिलाओं का सशक्तीकरण तथा उन्नति एक समस्या बनी हुई है । इसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए सामाजिक , आर्थिक व राजनीतिक स्तर पर लगातार प्रयास चल रहे हैं ।