कांगड़ा जिले के 10 सबसे प्रसिद्ध मंदिर।(10 Most Famous Temples Of Kangra District)

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हिमाचल प्रदेश को देव भूमि के नाम से जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश अपनी संस्कृति के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यह बहुत से देवी-देवताओं का आवास स्थान है। यहां के लोग सच्ची श्रद्धा के साथ देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं आज हम इस लेख के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से सम्बन्धित प्रसिद्ध मन्दिरों के बारे में पढ़ेंगे|

कांगड़ा जिला के प्रसिद्ध मन्दिरों की सूची ( List of Famous Temples in Kangra District)

प्रसिद्ध मंदिर स्थानजिला
बैजनाथ मंदिरबैजनाथ कांगड़ा
बगलामुखी मंदिरबनखंडीकांगड़ा
मसरूर मंदिरलहलपुरकांगड़ा
ज्वाला जी मंदिरज्वालामुखीकांगड़ा
चामुंडा माता मंदिरपडारकांगड़ा
ब्रजेश्वरी मंदिरनगरकोट कांगड़ा
कालेश्वर महादेवकलेश्वरकांगड़ा
भागसुनाग मंदिरभागसुनाग कांगड़ा
कुनाल पथरीपैट कांगड़ा
नागनी माता मंदिरनूरपुर कांगड़ा

बैजनाथ मंदिर (Baijnath Temple)

बैजनाथ मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है। यह मंदिर शिव जी को समर्पित है। इस मंदिर को नागर शैली से बनाया गया है। इस मंदिर का निर्माण 1204 में दो स्थानीय व्यापारियों के द्वारा किया गया था। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण किया था।

शिव नगरी बैजनाथ में श्रावण मास में सोमवार मेले का आयोजन होता है तथा उस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है। तथा इसमें लोगों की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। यहां पर मकर सक्रांति के दिन अखरोट की वर्षा की जाती है तथा शिवलिंग को देसी घी और सूखे मेवों से सजाया जाता है। यहां पर शिवरात्रि का त्योहार भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है तथा मेले का आयोजन किया जाता है। जिसके कारण इसे जिला स्तरीय दर्जा भी प्राप्त है।

बगलामुखी मंदिर (Baglamukhi Temple)

बगलामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में स्थित है। यह मंदिर कांगड़ा जिले के एक गांव में स्थित है। यहां पर लोग बहुत ही श्रद्धा से आते हैं तथा पूजा अर्चना करते हैं। बगलामुखी मंदिर महाभारत के समय का कालीन माना जाता है। बगलामुखी माता के जिस रूप का वर्णन पांडुलिपियों में किया गया है। उसी स्वरूप को इस मंदिर पर विराजमान किया गया है।

बगलामुखी माता के मंदिर में पीले रंग की वस्तु को ज्यादा मान्यता दी जाती है। यहां पर माता को पीले वस्त्र तथा पीले फूलों की माला इत्यादि चढ़ाई जाती है। यहां पर बगलामुखी जयंती भी मनाई जाती है। उस समय यहां मेले का आयोजन भी किया जाता है। यह मंदिर ज्वालामुखी से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर पहाड़ी में स्थित है तथा यहां पर चारों और घने जंगल भी है।

मसरूर मंदिर (Masroor Temple)

मसरूर मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में स्थित है। मसरूर मंदिर व्यास नदी के समीप स्थित है। मशहूर मंदिर को चट्टानों से काट कर बनाया गया है। ऐसा कहा जाता है कि से 15 चट्टानों के ऊपर बनाया गया है। इसलिए यह मंदिर को रॉक कट टेंपल के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस स्थान पर पहले बड़ी-बड़ी चट्टानें थी। इन चट्टानों को मंदिर के रूप में बदलने के लिए दूर से कारीगरों को बुलाया गया था। यह मंदिर अजंता एलोरा ऑफ हिमाचल के नाम से भी प्रसिद्ध है।

इस मंदिर की दीवारों पर। ब्रह्मा, विष्णु, महेश इत्यादि देवताओं की मूर्तियां भी बनाई गई है। जिन चट्टानों से यह मंदिर बना हुआ है उन्हें बलुआ चट्टान कहते हैं। इस मंदिर के द्वार को स्वर्गद्वार कहा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पांडव स्वर्गारोहण से पहले यहीं पर रूके थे इसलिए इस मंदिर के दरवाजे को स्वर्ग जाने का मार्ग भी माना जाता है।

ज्वाला जी मंदिर (Jwalaji Temple)

ज्वाला जी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में किसी देवी की मूर्ति की नहीं बल्कि भूमि से उत्पन्न होने वाली अग्नि या जोत की पूजा की जाती है। इसीलिए यह मंदिर जोता वाली माता के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर के विषय में यह माना जाता है कि यहां पर देवी सती जीभ गिरी थी।

इस मंदिर में 9 ज्वालाएं बिना तेल और बाती के जलती रहती है। यह 9 ज्वाला माता के नौ स्वरूपों का प्रतीक है। मंदिर की सबसे बड़ी जोत को ज्वाला माता का स्वरूप माना जाता है। ज्वाला माता मंदिर का निर्माण राजा भूमि चंद ने करवाया था। इस मंदिर की कुछ दूरी में एक कुंड बना हुआ है जोकि गोरखनाथ की डिब्बी के नाम से प्रसिद्ध है। इस कुंड के पानी से भाप निकलता हुआ प्रतीत होता है। इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से कुछ मांगता है तो उसकी हर इच्छा पूरी होती है।

चामुंडा माता मंदिर (Chamunda mata mandir)

चामुंडा माता देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है। यह मंदिर धर्मशाला से करीब 15 किलोमीटर की दूरी में स्थित है। यहां पर जगह-जगह से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं और यह माना जाता है कि यहां पर सभी लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर बंकर नदी के किनारे स्थित है। चामुंडा माता मंदिर काली माता को समर्पित किया गया है। माता काली को शक्ति और संहार की देवी माना जाता है। यह मंदिर समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई में स्थित है।

ब्रजेश्वरी मंदिर (Brajeshwari Temple)

ब्रजेश्वरी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है। इसीलिए इस मंदिर को कांगड़ा देवी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। इस मंदिर में माता के दुर्गा स्वरूप की पूजा की जाती है। यह नगरकोट में स्थित है इसलिए इसे नगरकोट धाम भी कहा जाता है। जय मां चल के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।यहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं।

इस मंदिर के पास एक बाण गंगा भी है जिसमें स्नान करना बहुत ही पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। ब्रजेश्वरी माता को पिंडी के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में 3 पिंडिया में स्थापित की गई है जिनको की बृजेश्वरी भद्रकाली एकादशी रूप में पूजा जाता है।

कालेश्वर महादेव (Kaleshwar Mahadev)

यह मंदिर कांगड़ा जिले के प्रागपुर गांव से 8 किलोमीटर की दूरी में स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव को समर्पित है या हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को केलसर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में शिवरात्रि का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है तथा दूर दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं।

यह मंदिर व्यास नदी के तट पर स्थित है।इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा की जाती है जो कि जमीन के अंदर ही धंसा हुआ है। माना जाता है कि माता काली ने शिव की प्राप्ति के लिए तपस्या की थी तथा उन्हें इसी स्थान पर से प्राप्त हुए थे।

भागसुनाग मंदिर (Bhagsunag Temple)

यह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है। यह मंदिर मैकलोडगंज से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी में स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर कांगड़ा जिले के प्राचीन मंदिरों में से एक है।इस मंदिर में हिंदू तथा गोरखा धर्मों के लोग अधिक पूजा अर्चना करते हैं। इस मंदिर के पास दो तालाब है जिन्हें की बहुत ही पवित्र माना जाता है। यहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।

कुनाल पथरी (Kunal Temple)

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है तथा धर्मशाला के पास स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान में माता सती का कपाल गिरा था इसलिए इस मंदिर को कालेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है और इस मंदिर को कुणाल पथरीनाम से भी जाना जाता है। यहां पर देश-विदेश से लोग दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर के चारों और चाय के बागान है। तथा यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है।

नागनी माता मंदिर(Nagni Mata Temple)

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिले के नूरपुर के भड़वार गांव में स्थित है। यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है इस मंदिर में 2 महीने तक मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेले सावन मास से लेकर भाद्रपद मास के हर शनिवार को लगाया जाता है। इस मेले को जिला स्तरीय मेला भी घोषित किया गया है तथा यहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं।

नागनी माता को मनसा देवी का स्वरूप भी माना जाता है। इस मंदिर में लोग दूर-दूर से जहरीले जीवो के इलाज के लिए भी पहुंचते हैं। ऐसा माना जाता है कि माता यहां सुनहरे सांप के रूप में कई बार दर्शन देती है।

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