हिमाचल प्रदेश को देव भूमि के नाम से जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश अपनी संस्कृति के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यह बहुत से देवी-देवताओं का आवास स्थान है। यहां के लोग अपनी श्रद्धा के साथ देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं तथा उनकी पूजा अर्चना के फल स्वरुप इन्हें देवी देवता खुश होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं तथा इनकी इच्छा को पूर्ण करते हैं। आज हम इस लेख के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से सम्बन्धित प्रसिद्ध मन्दिरों के बारे में पढ़ेंगे।
मंडी जिले के प्रसिद्ध मंदिर ( Famous Temple in Mandi district )

मंडी जिले के प्रसिद्ध मंदिर ( Famous Temple in Mandi district )
प्रसिद्ध मंदिर | जिला |
भूतनाथ मंदिर | मंडी |
महामाया मंदिर | मंडी ( सुंदरनगर ) |
शिकारी देवी मंदिर | मंडी ( जंजैहली ) |
श्यामा काली मंदिर | मंडी |
त्रिलोकी नाथ मंदिर | मंडी |
कामाक्षा देवी मंदिर | मंडी ( करसोग ) |
ममलेश्वर महादेव मंदिर | मंडी ( करसोग ) |
मुरारी देवी मंदिर | मंडी ( सुंदरनगर ) |
मगरू महादेव मंदिर | मंडी ( छत्री ) |
कमरूनाग मंदिर | मंडी |
भूतनाथ मंदिर ( Bhootnath Temple )

भूतनाथ मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित है। यह बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण राजा अजबर सेन ने 1527 में किया था। यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित है। इसलिए यहां शिवरात्रि बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। यहां पर शिवरात्रि के मेले भी लगाए जाते हैं। जो कि 1 सप्ताह तक धूमधाम से मनाए जाते हैं इस दौरान यहां पर बहुत से देवी-देवता एकत्रित होते है। भूतनाथ मंदिर के शिवलिंग पर माखन का लेप लगाया जाता है शिवलिंग पर मक्खन लगाने की यह परंपरा काफी प्राचीन है। भूतनाथ मंदिर वास्तुकला शैली से बनाया गया है। यहां पर देश-विदेश से बहुत से लोग घूमने के लिए आते हैं।
महामाया मंदिर ( Mahamaya Temple )

महामाया मंदिर हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले के सुंदरनगर में स्थित है। यह मंदिर सुंदरनगर – मलोह सड़क मार्ग में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा लक्ष्मण सेन ने करवाया था। ऐसा माना जाता है कि राजा लक्ष्मण सेन को विवाह के कई वर्षों तक संतान प्राप्ति नहीं हुई थी तो देवी महामाया ने राजा के सपने में दर्शन देकर पूजा करने को कहा तथा पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया था इसके बाद राजा ने देवी के द्वारा बताए गए कार्य को पूरी श्रद्धा से किया जिसके फलस्वरूप राजा लक्ष्मण सेन के घर 5 पुत्र तथा 2 पुत्रियों का जन्म हुआ था।
यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर के अन्दर 5 मंदिर बनाए गए हैं। इस मंदिर को सुंदरवन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां पर चील तथा कई प्रकार के फलदार वृक्ष पाए जाते हैं। यहां पर राज्यस्तरीय सुकेत मेला भी आयोजित किया जाता है जो कि बहुत प्रसिद्ध है। यहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं।
शिकारी माता मन्दिर ( Shikari Mata Mandir )

शिकारी माता मंदिर मंडी जिले में स्थित है। यह मंदिर जंजैहली से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर के रास्ते में घने जंगल भी है। यह मंदिर मंडी जिले की सबसे ऊंची चोटी पर विराजमान है। इसलिए इसे मंडी जिले का क्राउन भी कहा जाता है। यह स्थान विशाल चरागाह, सूर्योदय और सूर्यास्त के अद्भुत दृश्य के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां पर सर्दियों के मौसम में मंदिर परिसर के चारों और काफी बर्फ गिरती है परंतु मंदिर की मूर्तियों के ऊपर बर्फ नहीं गिरती है।
सर्दियों के मौसम में इस मंदिर को 3 माह के लिए बंद कर दिया जाता है। शिकारी माता मंदिर के ऊपर कोई छत नहीं है। यह देवी बिना छत के ही विराजमान है। इस मंदिर की स्थापना पांडवों के द्वारा की गई है। ऐसा माना जाता है कि ऋषि मार्कंडेय ने इस स्थान पर कई वर्षों तक तपस्या की थी। यह स्थान ट्रैकिंग मार्गों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां पर देश-विदेश से भी लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।
श्यामाकाली मंदिर/तारना मंदिर ( Shyamakali Temple/Tarana Temple )

यह प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित है। यह एक तीर्थ स्थल है। यह मंदिर देवी पार्वती के श्यामाकाली रूप को समर्पित है। यह मंदिर घने जंगलों के मध्य स्थित हैं। समुद्र तल से लगभग 300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर को श्यामाकालि तथा तारना मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में देवी की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं तथा गुरुओं के चित्र बनाए गए हैं। यहां पर देश-विदेश से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों को चढ़ना पड़ता है क्योंकि यह मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है।
त्रिलोकी नाथ मंदिर ( Triloki Nath Temple )

त्रिलोकी नाथ मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा दवनज राणा के द्वारा किया गया था। इस मंदिर को ” शिखर शैली ” में बनाया गया है। यह मंदिर 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर का प्राचीन नाम टुंडा बिहार था।
इस मंदिर में हिंदू तथा बौद्ध धर्म दोनों धर्मों को मान्यता प्राप्त है। हिंदू धर्म के लोग इसे “लॉर्ड शिव” के नाम से जानते हैं तथा बौद्ध धर्म के लोग इसे आर्य “अवलोकित स्वर” के नाम से जानते हैं। यह मंदिर 2 धर्मों को मानने के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर चंद्रभागा की घाटी में स्थित है। यह मंदिर काफी विशाल है तथा इसमें लगभग 125 लोगों के लिए आवास सुविधा का प्रावधान एक साथ किया जा सकता है।
कामाक्षा देवी मंदिर ( Kamaksha Devi Temple )

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले के करसोग में स्थित है। यह मंदिर प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में परशुराम के आगमन का पता चलता है। पूरे देश में कामाक्षा देवी के तीन मंदिर है। प्रथम असम में स्थित पौराणिक शक्ति, पीठ, कामाख्या देवी का मंदिर तथा दूसरा तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है।तीसरा कामाख्या मंदिर मंडी जिले के करसोग में स्थित है।
इस मंदिर का निर्माण परशुराम के द्वारा किया गया था। इस मंदिर में देवी की अष्टधातु की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष मेले का आयोजन किया जाता है। तथा देश-विदेश से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं।
ममलेश्वर महादेव मंदिर ( Mamleshwar Mahadev Temple )

ममलेश्वर महादेव मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के करसोग में स्थित है। यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर शिव पार्वती को समर्पित है। यहां पर एक धुणा जलता है जो कि सदियों से जलता आ रहा है।यह मंदिर करसोग के ममेंल गांव में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर भृगु ऋषि ने तपस्या की थी। यह मंदिर प्राचीन शिव पार्वती की मूर्ति के लिए भी प्रसिद्ध है।
यह मंदिर लकड़ी से बनाया गया है। इस मंदिर के विषय में ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के समय यहां ठहरे थे। इस मंदिर में पांडवों द्वारा शिवलिंग स्थापित किए गए थे जो कि आज भी यहां पर विराजमान है|
मुरारी देवी मंदिर ( Murari Devi Temple )

मुरारी देवी मंदिर को प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। यह हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के बल्ह घाटी में स्थित है। इस मंदिर के विषय में ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण पांडवों ने किया था तथा इस मंदिर में मूर्तियां स्थापित की गई है जो कि पांडवों के समय से वहां विराजमान है।
यहां पर दो पिंडीया स्थापित की गई है जिसमें एक को शांत कन्या और दूसरी को कालरात्रि का रूप माना जाता है। यहां पर लोग देश-विदेश से दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर में 22 से 25 मई तक तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है तथा धूमधाम से मनाया जाता है।
मगरू महादेव मंदिर ( Magru Mahadev Temple )

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के छत्री गांव में स्थित है। यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है इस मंदिर को लकड़ी से बनाया गया है। यह मंदिर शिव पार्वती को समर्पित है और यहां पर लकड़ी से बने शिवलिंग की पूजा की जाती है। इस मंदिर को ” वास्तुकला शैली” के द्वारा बनाया गया है।
यहां पर शिवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। यहां पर मेले का आयोजन भी किया जाता है मेला पांच दिवसीय होता है। जो कि 15 अगस्त से 20 अगस्त तक चलता है। मंदिर परिसर चारों ओर से ऊंचे ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है। इस मंदिर के चारों ओर चीर के वृक्ष है। यहां पर दूर-दूर से लोग यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं।
कमरूनाग मंदिर ( Kamrunag Temple )

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध झील भी है। इस मंदिर के चारों ओर देवदार के घने जंगल स्थित है। इस मंदिर में मेले का आयोजन भी किया जाता है तथा विशेष तौर पर नाग देवता की पूजा की जाती है।
कमरूनाग झील में श्रद्धालुओं के द्वारा अपनी इच्छा पूर्ति के दौरान सोने चांदी से बनी वस्तुओं का चढ़ावा चढ़ाते हैं। यह मंदिर समुद्र तल से 9000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। कमरूनाग झील के खजाने के विषय में ऐसा बताया जाता है कि यह पांडवों की संपत्ति थी जिसे कि पांडवों ने कमरूनाग को समर्पित किया था। इस संपत्ति की रक्षा कमरूनाग स्वयं करते हैं। स्थानीय लोगों के द्वारा कमरूनाग झील की सुरक्षा के लिए कोई प्रबंध नहीं किया गया है।
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