जानिए क्या है इस Post में
कांगड़ा जिले की प्रसिद्ध झीलें
झील का नाम | प्रकार | समुद्र तल से ऊँचाई |
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डल झील | प्राकृतिक | 1775 मीटर |
करेरी झील | प्राकृतिक | 1810 मीटर |
मछियाल झील | प्राकृतिक | 3048 मीटर |
पोंग झील | कृत्रिम | 430 मीटर |

Famous Lakes In Kangra District | कांगड़ा जिले की प्रसिद्ध झीलें
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Famous Lakes In Kangra District | कांगड़ा जिले की प्रसिद्ध झीलें
डल झील

डल झील एक छोटी सी मध्यम ऊंचाई वाली झील (समुद्र तल से 1,775 मीटर ऊपर) है, जो कि कांगड़ा हिमाचल प्रदेश में मैकलोडगंज नड्डी रोड पर तोता रानी के गांव के पास धर्मशाला से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। डल झील मक्लोटगंज से पश्चिम की ओर 2 किमी है। झील देवदार के हरे-भरे वनों के बीच का घिरी हुई है , डल झील अपनी सुंदरता और तीर्थयात्रा केंद्र के लिए प्रसिद्ध है।
डल झील के आसपास का क्षेत्र प्राकृतिक स्वर्ग है। झील का क्षेत्र एक हेक्टेयर (यानी 10,000 वर्ग मीटर) के आसपास है। डल झील के किनारे पर एक प्रसिद्ध भगवान शिव मंदिर स्थित है, जिसे बहुत पवित्र माना जाता है और 200 वर्ष पुराना है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, दुर्वास नामक ऋषि ने यहां भगवान शिव की उपासना की थी।
करेरी झील

करेरी झील धौलाधार में एक ट्रेकिंग गंतव्य होने के लिए सबसे प्रसिद्ध है। झील अक्सर दिसंबर से मार्च-अप्रैल तक वर्फ से जमी हुई रहती है| झील की एक तरफ पहाड़ी पर भगवान शिव और शक्ति को समर्पित एक मंदिर है। केरेरी झील (जिसे कुमारवा झील के नाम से भी जाना जाता है) धौलाधर सीमा के दक्षिण में 9 कि.मी. उत्तर-पश्चिम धर्मशाला में समुद्र तल से 2934 मीटर की ऊंचाई पर एक उथले, ताजे पानी की झील है। झील के आस पास का प्राकृतिक परिदृश्य बहुत ही सुन्दर एवं मनमोहक है|
मछियाल झील
जिला कांगड़ा के ममूटा गाँव मे स्थित माचियल झील लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है। नगरोटा बागवाँ से मात्र 2 km की दूरी पर जौगाल खड्ड मे स्थित प्राकृतिक माचियल झील के एक और माँ संतोषी का मंदिर है तो दूसरी ओर प्राचीन माछिद्र महादेव का मंदिर प्रयटकों को आकर्षित करता है।
ऐसी मान्यता है की यह भूमि माचिन्द्र नाथ की तपो स्थली रही है। जिस स्थान पर बैठ कर उन्होने ताप्यासा की थी, उसी स्थान पर माचिन्द्र महादेव के मंदिर की स्थापना हुई है। मंदिर के साथ की पवित्र माछियल झील है,जिसमे प्राचीन समय से ही भारी संख्या मे बड़ी-बड़ी मछलियाँ रहती हैं।
पोंग झील

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शिवालिक पहाड़ियों के आर्द्र भूमि पर ब्यास नदी पर बाँध बनाकर एक जलाशय का निर्माण किया गया है जिसे महाराणा प्रताप सागर नाम दिया गया है। इसे पौंग जलाशय या पौंग बांध के नाम से भी जाना जाता है। यह बाँध 1975 में बनाया गया था।
महाराणा प्रताप के सम्मान में नामित यह जलाशय या झील एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है और रामसर सम्मेलन द्वारा भारत में घोषित 25 अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि साइटों में से एक है।जलाशय 24,529 हेक्टेयर (60,610 एकड़) के एक क्षेत्र तक फैला हुआ है, और झीलों का भाग 15,662 हेक्टेयर (38,700 एकड़) है।
पौंग जलाशय हिमाचल प्रदेश में हिमालय की तलहटी में सबसे महत्वपूर्ण मछली वाला जलाशय है। इस जलाशय में महासीर मछली अत्याधिकता मे पाई जाती है |
FAQ
कांगड़ा की प्रसिद्ध प्राकृतिक झीलें?
डल झील (1775 मीटर)
करेरी झील (1810 मीटर)
मछियाल झील (3048 मीटर)
कांगड़ा जिले की प्रसिद्ध कृत्रिम झीलें?
पोंग झील (430 मीटर)