Brief History of Kullu In Hindi (कुल्लू जिले का इतिहास)

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Brief History of Kullu In Hindi (कुल्लू जिले का इतिहास)

जिले के रूप में गठन1963
जिला मुख्यालयकुल्लू
जनसंख्या (2011 में)4,37,474
जनसंख्या   घनत्व (2011 में)79
कुल क्षेत्रफल5503 वर्ग कि.मी.
साक्षरता दर (2011 में)80.14%
लिंग अनुपात (2011 में)950
कुल गाँव172 (आबाद गाँव- 172)
ग्राम पंचायतें204
विकास खंड5
विधानसभा सीटें4
लोकसभा क्षेत्रमंडी
तहसील6

जानिए क्या है इस Post में

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भौगोलिक स्थिति 

कुल्लू हिमाचल प्रदेश के मध्य भाग में स्थित जिला है। कुल्लू के उत्तर में और उत्तर- -पूर्व में लाहौल-स्पीति, पूर्व में किन्नौर, दक्षिण में शिमला, पश्चिम और दक्षिण पश्चिम में मण्डी और उत्तर पश्चिम में काँगड़ा जिला स्थित है।

चश्में

मणिकर्ण, वशिष्ठ खीरगंगा, कसोल और कलथ।

नदियाँ

सतलुज और ब्यास कुल्लू की प्रमुख नदियाँ हैं। सतलुज नदी शिमला जिले के साथ कुल्लू जिले की सीमा बनाती है। पार्वती, तीर्थन, सेंज, हारला, सरवारी, सोलंग, मनालसू, सुजोन, फोजल, ब्यास की प्रमुख सहायक नदियाँ है। पार्वती नदी ब्या की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो भुंतर (शमशी) के पास ब्यास में मिलती है। तीर्थन नदी लारजीके पास ब्यास में मिलती है। सैंज नदी भी लारजी के पास ब्यास नदी में मिलती है। हारला नदी भुंतर के पास ब्यास में मिलती है। सरवारी नदी कुल्लू के पास ब्यास नदी में मिलती है।

दर्रे

रोहतांग दर्रा, पिन पार्वती दर्रा, जालोरी दर्रा ।

झीलें

सरवालसर झील (जालोरी दर्रे के ऊपर स्थित), मनतलाई झील (पार्वती नदी का उदगम स्त्रोत), भृगु झील (रोहतांग दर्रे के पास), शहर झील।

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कुल्लू रियासत की स्थापना

(A)पाल वंश

कुल्लू का पौराणिक ग्रन्थों में ‘ कुल्लूत देश ‘ के नाम से वर्णन मिलता है । रामायण , विष्णुपराण । भारत , मारकडेण्य पुराण , वृहत्संहिता और कल्हण की राजतरंगिणी में ‘ कुल्लूत ‘ का वर्णन मिलता है । वैदिक साहित्य में कूलूत देश । | गन्धवों की भूमि कहा गया है । कुल्लू घाटी को कुलांतपीठ भी कहा गया है क्योंकि इसे रहने योग्य संसार का अंत माना गया था । । कुल्लू रियासत की स्थापना विहंगमणिपाल ने हरिद्वार ( मायापुरी ) से आकर की थी ।

विहंगमणिपाल के पूर्वज इलाहाबाद । प्रयागराज ) से अल्मोड़ा और फिर हरिद्वार आकर बस गये थे । विहंगमणिपाल स्थानीय जागीरदारों से पराजित होकर प्रारंभ में जगतसुख के चपाईराम के घर रहने लगे । भगवती हिडिम्बा देवी के आशीर्वाद से विहंगमणिपाल ने रियासत की पहली राजधानी ( नास्त ) जगतसुख स्थापित की । विहंगमणिपाल के पुत्र पच्छपाल ने ‘ गजन ‘ और ‘ बेवला ‘ के राजा को हराया ।

कुल्लू रियासत की सात वजीरियाँ

  • परोल वजीरी ( कुल्लू )
  • वजीरी रूपी ( पार्वत और सैंज खड्ड के बीच )
  • वजीरी लग महाराज ( सरवरी और सुल्तानपुर से बजौरा तक )
  • बजीरी भंगाल
  • वजीरी लाहौल
  • वजीरी लग सारी ( फोजल और सरवरी खड्ड के बीच )
  • वजीरी सिराज ( सिराज को जालौरी दर्रा दो भागों में बाँटता है।

 महाभारत काल

कुल्लू रियासत की कुल देवी हिडिम्बा ने भीम से विवाह किया था । घटोत्कच भीम ओर हिडिम्बा का पुत्र था जिसने महाभारत युद्ध में भाग लिया था । भीम ने हिडिम्ब ( टाण्डी ) का वध किया था जो देवी राक्षसी हिडिम्बा का भाई था ।

ह्वेनसांग का विवरण

चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 635 ई . में कुल्लू रियासत की यात्रा की । उन्होंने कुल्लू रियासत की परिधि 800 कि . मी . बताई जो जालंधर से 187 कि . मी . दूर स्थित था । उसके अनुसार कुल्लू रियासत में लगभग एक हजार बौद्ध भिक्षु महायान का अध्ययन करते थे । भगवान बुद्ध के कुल्लू भ्रमण की याद में अशोक ने कुल्लू में बौद्ध स्तूप बनवाया ।

विसुदपाल

नग्गर के राजा कर्मचंद को युद्ध में हराकर विसुदपाल ने कुल्लू की राजधानी जगतसुख से नग्गर स्थानांतरित की ।

रूद्रपाल और प्रसिद्धपाल

रूद्रपाल के शासनकाल में स्पीति के राजा राजेन्द्र सेन ने कुल्लू पर आक्रमण करके उसे नजराना दिया। प्रसिद्ध पाल ने स्पीति के राजा छतसेन से कुल्लू और चम्बा के राजा से लाहौल को आजाद करवाया ।

दत्तेश्वर पाल

दत्तेश्वर पाल के समय चम्बा के राजा मेरूवर्मन (680 – 700 ई .)ने किल्लु पर आक्रमण कर दतेश्वर पाल  को हराया और वह इस युद्ध में मारा गया । दत्तेश्वर पाल पालवंश का 31वां राजा था ।

जारेश्वर पाल (780 – 800 ई .)

जारेश्वर पाल ने बुशहर रियासत की सहायता से कुल्लू को चम्बा से मुक्त करवाया ।

भूपपाल  

कुल्लू के 43वें राजा भूपपाल सुकेत राज्य के सस्थापक वीरसेन के समकालीन थे। बीरसेन ने सिराज में भूपाल को हराकर उसे बंदी बनाया ।

पड़ोसी राज्यों के पाल वंश पर आक्रमण

हस्तपाल के समय बुशहर , नरिंटर , काँगड़ा , केरल पाल के समय सुकेत ने कुल्लू पर आक्रमन कर कब्जा किया और नजरराना देने के लिए मजबूर किया।

उर्दान पाल (1418 – 1428 ई .)

पाल वंश के 72व राजा उर्दान पाल ने  जगत सुख में संधिया देवी का मंदिर बनवाया।

पाल बनश का अंतिम शासक

कैलाश पाल (1428-1450 ई .) कुल्लू का अंतिम राजा था जिसके साथ ‘ पाल ‘ उपाधि का प्रयोग हुआ । संभवतः वह पालवंश का अंतिम राजा था ।

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(B) सिंह बदानी वंश

कैलाशपाल के बाद के 50 वर्षों के अधिकतर समय में कुल्लू सुकेत रियासत के अधीन रहा । वर्ष 1500 ई . में सिद्ध सिंह ने सिंह बदानी वंश की स्थापना की । उन्होंने जगतसुख को अपनी राजधानी बनाया ।

बहादुर सिंह ( 1532 ई . )

बहादुर सिंह सुकेत के राजा अर्जुन सेन का समकालीन था । बहादुर सिंह ने वजीरी रूपी को कुल्लू राज्य का भाग बनाया । बहादुर सिंह ने मकरसा में अपने लिए महल बनवाया । मकरसा की स्थापना महाभारत के विदुर के पुत्र मकस ने की थी । राज्य की राजधानी उस समय नग्गर थी । बहादुर सिंह ने अपने पुत्र प्रताप सिंह का विवाह चम्बा के राजा गणेश वर्मन की बेटी से करवाया । बहादुर सिंह के बाद प्रताप सिंह (1559-1575) , परतप सिंह (1575-1608) , पृथ्वी सिंह (1608 – 1635) और कल्याण सिंह (1635-1637) मुगलों के अधीन रहकर कुल्लू पर शासन कर रहे थे ।

जगत सिंह ( 1637-72 ई . )

जगत सिंह कुल्लू रियासत का सबसे शक्तिशाली राजा था । जगत सिंह ने लग वजीरी और बाहरी सिराज पर कब्जा किया । उन्होंने डूग्गीलग के जोगचंद और सुल्तानपुर के सुल्तानचंद ( सुल्तानपुर का संस्थापक ) को 1650 – 55 के बीच पराजित कर ‘ लग ‘ वजीरी पर कब्जा किया का वजीरी पर कब्जा किया । औरंगजेब उन्हें ‘ कुल्लू का राजा ‘ कहते थे । कुल्लू के राजा जगत सिंह ने 1640 ई . में दाराशिकोह के विरुद्ध विद्रोह किया तथा 1657 इ . में उसके फरमान को मानने से मना कर दिया था बाह्मण की आत्महत्या के दोष से मुक्त होने के लिए राजपाठ रघुनाथ जी को सौंप दिया ।

राजा  जगतसिंह ने टिप्परी ‘ के ब्राह्मण की आत्महत्या के दोष से मुक्त होने के लिए जगत सिंह ने 1653 में दामोदर दास ( ब्राह्मण ) से रघुनाथ जी की प्रतिमा अयोध्या से मंगवा कर राजपढ सोंफ दिया। राजा जगत सिंह के समय से ही कुल्लू के ढालपुर मैदान पर कुल्लू का दशहरा मनाया जाता है ।  

मानसिंह (1688-1702 ई .)

कुल्लू के राजा मानसिंह ने मण्डी पर आक्रमण कर गुम्मा ( दंग ) नमक की खाना  में कब्जा जमाया । उन्होंने 1688 ई . में वीर भंगाल क्षेत्र पर नियंत्रण किया । उन्होंने लाहौल – स्पीति को अपने अधीन कर तिबत  की सीमा लिंगटी नदी के साथ निधारित की । राजा मानसिंह ने शांगरी और बुशहर रियासत के पण्ड्रा ब्यास क्षेत्र को बीी अपने अधीन किया । उनके शासन में कुल्लू रियासत का क्षेत्रफल 10 , 000 वर्ग मील हो गया।

राजसिह (1702-1731 ई .)

राजा राजसिंह के समय गुरु गोविंद सिंह जी ने कुल्लू की यात्रा की ।

टेढ़ी सिंह (1742-1767 ई .)

राजा टेढ़ी सिंह के समय घमण्ड चंद ने कुल्लू पर आक्रमण किया ।

प्रीतम सिंह (1767-1806)  

प्रीतम सिंह संसारचंद द्वितीय का समकालीन राजा था । उसके समय कुल्लू का वजीर भागचंद था

विक्रम सिंह (1806-1816 ई .)

राजा विक्रम सिंह के समय में 1810 ई . में कुल्लू पर पहला सिक्ख आक्रमण हुआ जिसका नेतृत्व दीवान मोहकम चंद कर रहे थे ।

अजीत सिंह (1816-1841 ई .)

राजा अजीत सिंह के समय 1820 ई . में विलियम मूरक्राफ्ट ने कुल्लू की यात्रा की । कुल्लू प्रवास पर आने वाले वह पहले यूरोपीय यात्री थे । राजा अजीत सिंह को सिक्ख सम्राट शेरसिंह ने कुल्लू रियासत से खदेड़ दिया ( 1840 ई . में ) । ब्रिटिश संरक्षण के अधीन सांगरी रियासत में शरण लेने बाद 1841 ई . में अजीत सिंह की मृत्यु हो गई । कुल्लू रियासत 1840 ई . से 1846 ई . तक सिक्खों के अधीन रही।

ब्रिटिश सत्ता एवं जिला निर्माण

प्रथम सिख युद्ध के बाद 9 मार्च , 1846 ई . को कुल्लू रियासत अंग्रेजों के अधीन आ गया । अंग्रेजों ने वजीरी रूपी को कुल्लू के शासकों को शासन करने के लिए स्वतंत्र रूप से प्रदान किया । लाहौल – स्पीति को 9 मार्च , 1846 को कुल्लू के साथ मिलाया गया । स्पीति का लद्दाख से कुल्लू मिलाया गया । कुल्लू को 1846 ई . में कांगड़ा का उपमण्डल बनाकर शामिल किया गया । कुल्लू उपमण्डल का पहला सहायक आयुक्त कैप्टन हेय था ।

सिराज तहसील का उस समय मुख्यालय बजार था । स्पीति को 1862 में सिराज से निकालकर कुल्लू की तहसील बनाया गया । वर्ष 1863 ई . में वायसराय लार्ड एल्गिन कुल्लू आने वाले प्रथम वायसराय थे । कुल्लू उपमण्डल से अलग होकर लाहौल – स्पीति जिले का गठन 30 जून , 1960 ई . को हुआ । कुल्लू उपमण्डल को 1963 ई . में काँगड़ा से अलग कर पंजाब का जिला बनाया गया । कुल्लू जिले के पहले उपायुक्त गुरचरण सिंह थे । कुल्लू जिले का 1 नवम्बर , 1966 ई . को पंजाब से हिमाचल प्रदेश में विलय हो गया ।

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अर्थव्यवस्था

कृषि और पशुपालन कुल्लू के सैंज में खाद्यान्न बिज संवर्द्धन फार्म स्थित है। हमटा और कुना (आनि) में आलू विकास केंद्रस्थित है। सब्जी अनुसंधान केंद्र कटरैन में स्थित है। कैप्टन आर. सी. ली. ने 1870 ई. में बंदरोल कुल्लू में ब्रिटिश किस्म के बगीचे लगाए। कुल्लू के मोहल में 1964 ई. में अंगोरा फार्म स्थापित किया गया। कुल्लू के पतलीकूहल, नागिनी और मोहेली में मछली फार्म स्थित है।

कुल्लू के बजौरा, नग्गर और रायसन में चाय के बगीचे हैं। पाधा बंसीलाल ने स्थानीय स्तर पर सेब के बगीचे लगाने का कार्य किया। मनाली में ए.टी. बैनन ने 1884 ई. में ब्रिटिश किस्म के सेब लगाए। डफ ने कटरैन और डुंगरी, कर्नल रैनिक ने बजौरा, मिनिकिन ने नग्गर में सेब के बाग़ लगाए ।

उद्योग और खनिज कुल्लू में ग्रामीण औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, बालिका औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) स्थित है। शमशीकी ITI1961-62 ई. में शुरू हुई। पार्वती घाटी में काई नाइट, लारजी और हारला में लाइमस्टोन पाया जाता है।

जलविद्युत परियोजनाएँ पार्वती परियोजना (2051 मेगावाट), मलाणा परियोजना (86 मेगावाट), लारजी परियोजना (126 मेगावाट)। पार्वती परियोजना हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है।

पार्वती जलविद्युत परियोजना पार्वती, सैंज और गढ़सा नदियों के संगम पर स्थित है। इस परियोजना में 3 विद्युत गृह नकथाप, सैंज और लारजी में स्थित है। पार्वती परियोजना पर 5 राज्यों ने 20 अक्टूबर, 1992 में समझौता किया। ये पांच राज्य हैं – गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश।

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मेले और मंदिर

कुल्लू दशहरा – कुल्लू के ढालपुर मैदान में दशहरे के दिन रघुनाथ जीकी रथयात्रा निकाली जाती है । हिडिम्बा माताको कुल्लू के राजा रघुनाथ मंदिर(सुल्तानपुर) तक ले जाते हैं। कुल्लू दशहरा अंतर्राष्ट्रीय स्तर का त्यौहार है जो 7 दिनों तक चलता है।

भगवान परशुराम की याद में भडोली मेला और निर्मण्ड में बूढ़ी दीवाली मनाई जाती है। देवी हिडिम्बा की याद में डूंगरी मेला लगता है।

मंदिर – मनाली में हिडिम्बा देवी मंदिर स्थित है जिसे कुल्लू के राजा बहादुर सिंह ने 1553 ई. में बनवाया था। यह पगौड़ा शैली में निर्मित है। कुल्लू राजवंश की कुल देवी भगवती हिडिम्बा को माना जाता है। निर्मण्ड में परशुराम मंदिर स्थित है। निर्मण्ड को कुल्लू का छोटा काशी कहते हैं। बजौरा में महिषासुरमर्दिनी और विश्वेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है।

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महत्त्वपूर्ण स्थान

1. मनाली – मनाली का नाम मनु के नाम से पड़ा (मनु-आलय) अर्थात मनु का घर । मनु ने सृष्टि की रचना यहीं से आरंभ की। हिडिम्बा से यहीं विवाह किया था। डुंगरी मेला जो हिडिम्बा देवी को समर्पित है, यहीं पर मनाया जाता है। भीम ने मनाली से 12 किमी. दूरी पर सोलंगनाला में अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग प्रतियोगिता व राष्ट्रीय शीतकालीन खेल आयोजित होते हैं। मनाली में हिडिम्बा देवी का मंदिर है, जिसे 1553 ई. में राजा बहादुर सिंह ने बनवाया था।

मनाली में श्रृंग ऋषि ने राजा दशरथ से पुत्र-प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया था। मनाली कुल्लू मार्ग के भनारा गाँव में अर्जुन गुफा है। इसमें श्री कृष्ण भगवान की प्रतिमा है। अर्जुन ने ब्रह्म-अस्त्र प्राप्ति के लिए यहीं तपस्या की थी। मनाली में 1961 ई. में पर्वतारोहण संस्थान खोला गया।

2. मणिकर्ण – यहाँ पर गर्म पानी का चश्मा है। यहाँ देवी पार्वती की कान की मणि टूट कर गिर गई थी।

3. नग्गर यहाँ पर रोरिक कला संग्रहालय है। रोरिक रूस का रहने वाला था। 1942 ई. में इंदिरा गांधी व पण्डित नेहरू यहाँ आए थे यह पूर्व में कुल्लू रियासत की राजधानी थी देविका रानी निकोलस रोरिक की पत्नी थी।

4. भुंतर भुंतर में हवाई अड्डा है हारला नदी भुंतर में ब्यास नदी में मिलती है।

5. मलाणा – मलाणा गाँव विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र है, जिस पर शासन जामलू देवता करते हैं। जामलू देवता परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि को कहा जाता है।

6. तिरथन – तिरथन में ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय पार्क है।

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महत्त्वपूर्ण व्यक्ति

1. प्रताप सिंह 1857 ई. विद्रोह के नेता जिन्हें धर्मशाला में फाँसी पर चढ़ा दिया गया था।

2. निकोलस रोरिक – रुसी कलाकार जो कुल्लू के नग्गर में 1947 ई. तक (आजीवन) तक रहे। उनके नाम पर रोरिक कला संग्रहालय नग्गर में स्थित है।

3. लालचंद प्रार्थी – कुल्लू से मंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति लाल चंद प्रार्थी ने 1942 ई. के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और कुल्लूत देश की कहानी पुस्तक लिखी ।

जननांकीय आँकड़े कुल्लू जिले की जनसंख्या 1901 ई. . में 1,19,585 से बढ़कर 1951 ई. में 1,45,688 हो गई। वर्ष 1971 में कुल्लू जिले की जनसंख्या 1,92,371 से बढ़कर 2011 ई. में 4.37,474 हो गई। कुल्लू जिले का लिंगानुपात 2011 में 950 है। कुल्लू जिले का जनघनत्व 2011 में 79 हो गया। कुल्लू जिले की 2011 में हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या में योगदान 6.38% है। कुल्लू जिले में कुल 172 गाँव है जिसमें से सभी 172 गाँव आबाद गाँव है। कुल्लू जिला एकमात्र जिला है जहाँ कोई भी गैर आबाद गाँव नहीं है। कुल्लू जिले में 204 पंचायते हैं। कुल्लू जिले में 2 नगर परिषद कुल्लू और मनाली तथा 2 नगर पंचायत भुंतर और बंजार स्थित है।

कुल्लू जिले का स्थान कुल्लू जिला क्षेत्रफल में पाँचवें स्थान पर है। कुल्लू जिलें में सबसे कम आबाद गाँव हैं। कुल्लू जिला जनसंख्या में 9वें स्थान पर है। कुल्लू जिला 79 जनघनत्व के साथ 10 वें स्थान पर स्थित है। कुल्लू जिला वर्ष 2012 तक सड़कों की लम्बाई (1666 किमी.) के मामले में वें स्थान पर था। वर्ष 2001-2011 की दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर में कुल्लू चौथे स्थान पर है। लिंगानुपात में कुल्लू जिला सातवें स्थान पर है, जबकि शिशु लिंगानुपात में कुल्लू जिला 2011 में 962 के साथ दूसरे स्थान पर स्थित था। 2011 की साक्षरता में कुल्लू जिला नौवें स्थान पर स्थित है।

कुल्लू जिले की 9.43% जनसंख्या शहरी और 90.57% जनसंख्या ग्रामीण हैं। कुल्लू जिले का वन क्षेत्रफल के मामले में तीसरा तथा वनाच्छादित क्षेत्रफल के मामले में सातवाँ स्थान है। कुल्लू जिले में 1,14, 942 भेड़ें हैं और वह तीसरे स्थान पर है। कुल्लू में किन्नौर के बाद सबसे कम चरागाह है। वर्ष 2011-2012 में कुल्लू जिला सेब उत्पादन में तीसरे स्थान पर था। कुल्लू जिले में 2011-2012 में सर्वाधिक प्लम, नाशपाती और अनार का उत्पादन हुआ।

Frequently Asked Questions

1. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले का गठन कब हुआ ?

उत्तर:- 1963

2. कुल्लू जिले का क्षेत्रफल कितना है ?

उत्तर:- 5503 वर्ग किमी.

3. रमणीय गाँव मलाणा का सर्वमान्य शासक कौन है ?

उत्तर:- जमलू

4. प्राचीन समय में कुल्लू का मुख्यालय कहाँ था ?

उत्तर:- जगतसुख

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