Bathu Ki Ladi Temple : बाथु की लड़ी के मन्दिर का इतिहास

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Bathu Ki Ladi Temple : बाथू की लड़ी मंदिर भारत देश का सबसे प्राचीन अद्भुत चमत्कारी मंदिर है । इस मंदिर की सुंदरता देखने के लायक है । इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि बाथू की लड़ी का यह मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है और यह मंदिर 8 महीने तक पानी में डूबा रहता है । बाथू की लड़ी मंदिर भारत देश के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है । यह मंदिर बहुत ही अद्भुत दिखाई देता है । इस मंदिर का निर्माण छठवीं शताब्दी में गुलेरिया साम्राज्य के समय में कराया गया था ।

Bathu Ki Ladi Temple
Bathu Ki Ladi Temple

Bathu Ki Ladi Temple : बाथु की लड़ी के मन्दिर का इतिहास

जब गुलेरिया साम्राज्य के समय में बाथू की लड़ी मंदिर का निर्माण कराया गया तब काफी भक्तगण इस मंदिर के दर्शनों के लिए जाने लगे थे | परंतु 1970 में जब पोंग बांध का निर्माण यहां पर कराया गया तब यह मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो गया था। इस मंदिर के दर्शनों के लिए भक्तगण काफी मात्रा में जाते हैं और बाथू की लड़ी मंदिर के दर्शन करके अपने जीवन में सुख समृद्धि और आनंद प्राप्त करते हैं। मंदिर के निर्माण को लेकर एक कथा भी कही जाती है। उस कथा के अनुसार इस मंदिर के बारे में यह बताया जाता है कि इस मंदिर के निर्माण की शिला महाभारत काल में रखी गई थी।

Bathu Ki Ladi Temple : मंदिर के निर्माण

इस मंदिर के निर्माण के लिए पांडवों ने शिला रखी थी। यहां से पांडवों के द्वारा स्वर्ग तक सीढ़ी बनाने का विचार किया गया था। पांडवों के द्वारा स्वर्ग तक जाने के लिए सीढ़ियां बनाना था परंतु उनके पास उचित समय नहीं था । पांडवों के द्वारा श्रीकृष्ण से मदद मांगी गई और श्रीकृष्ण 6 महीने की एक रात कर दी थी। परंतु उस समय में भी पांडवों के द्वारा स्वर्ग तक सीढ़ी नहीं बनाई जा सकी थी इसीलिए इस मंदिर के निर्माण में पांडवों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।

हिन्दू धर्म के लोगों की इस मंदिर से आस्था जुड़ी हुई है इसलिए इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। 1970 में जब यह मंदिर पोंग बांध बनने के कारण जलमग्न हो गया था तब लोगों का ध्यान इस मंदिर से हट गया था परंतु फिर पुनः इस मंदिर के निर्माण के लिए कार्य किए गए और प्रशासन के द्वारा यहां पर भक्तों के आने की व्यवस्था की गई थी । बाथू की लड़ी मंदिर को दर्शनों के लिए भक्तगण मई जून महीने में आते हैं क्योंकि मई, जून महीने में मंदिर पानी से बाहर आ जाता है, पानी का जलस्तर कम हो जाने के बाद सभी भक्तगण इस मंदिर में जाकर भगवान शिवजी की पूजा अर्चना करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं ।

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इस मंदिर के नामकरण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की इमारतें बनी है वह इमारत है बाथ पत्थर की बनी हुई है । जब यह मंदिर पानी में जलमग्न हो जाता है तब इस मंदिर को दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसा कि कोई माला में मोतिया पिरो दिए गए हो इसीलिए इस मंदिर का नाम बाथू की लड़ी रखा गया था । बाथू की लड़ी मंदिर में 6 मंदिर हैं जिसमें पांच छोटे मंदिर हैं । इन 6 मंदिरों में शेषनाग, विष्णु भगवान की प्रतिमा मौजूद है। इस बाथू की लड़ी मंदिर में जो मुख्य मंदिर है उस मंदिर में भगवान शिव लिंग हैं जिस शिवलिंग को देखने के बाद आनंद प्राप्त होता है ।

मंदिर में पवित्र शिवलिंग होने के साथ-साथ भगवान गणेश और देवी काली की प्रतिमा भी स्थित है । जब भक्तगण मंदिर में प्रवेश करते हैं तब वह अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । इस मंदिर के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि जब सूर्य अस्त होने वाला होता है तब सूर्य की किरणें बाथू की लड़ी मंदिर में स्थित शिवलिंग के चरण स्पर्श करती हैं । भारत देश का यह चमत्कारी अद्भुत मंदिर की सुंदरता को देखने के लिए भारत देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं और इस मंदिर के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं ।

1. बाथु की लड़ी मंदिर किस जिले में स्थित है ?

उत्तर :- कांगड़ा जिले में

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