Teacher’s Day 2025 : शिक्षक दिवस का इतिहास, महत्व और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का योगदान
Teacher’s Day 2025: भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन महान दार्शनिक, शिक्षाविद् और भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस की स्मृति में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य समाज और राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मानित करना है।
शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?
जब डॉ. राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने, तो उनके छात्रों और मित्रों ने उनके जन्मदिन को मनाने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा –
“यदि आप सचमुच मेरा जन्मदिन मनाना चाहते हैं, तो इसे शिक्षकों को समर्पित करें।”
इसी भावना के साथ वर्ष 1962 से 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन : जीवन और योगदान
जन्म | 5 सितंबर 1888, तिरुत्तनी (तमिलनाडु) |
शिक्षा | मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से दर्शनशास्त्र में पढ़ाई |
करियर | मैसूर, कलकत्ता और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्यापन; ऑक्सफोर्ड में Eastern Religions and Ethics के स्पाल्डिंग प्रोफेसर बने। |
पुस्तकें | Indian Philosophy, The Philosophy of Upanishads और भगवद्गीता पर उनकी टीकाएँ आज भी प्रसिद्ध हैं। |
उनके प्रमुख कार्य और उपलब्धियाँ
- 1952 से 1962 तक भारत के पहले उपराष्ट्रपति और 1962 से 1967 तक देश के दूसरे राष्ट्रपति रहे।
- 1954 में भारत रत्न से सम्मानित।
- कई बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित।
- 1931 में “नाइटहुड” की उपाधि मिली, स्वतंत्रता के बाद उन्हें “डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन” कहा जाने लगा।
- उन्होंने अपनी अधिकांश राष्ट्रपति वेतन राशि राष्ट्रीय राहत कोष में दान कर दी।
- HelpAge India जैसी संस्था की स्थापना कर बुजुर्गों और वंचितों के जीवन में आशा जगाई।
- 1949-1952 तक सोवियत संघ में भारत के राजदूत रहे।
- 1961 में जर्मन बुक ट्रेड का शांति पुरस्कार, 1963 में “Order of Merit” और 1975 में Templeton Prize मिला, जिसकी पूरी राशि उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय को दान कर दी।
निष्कर्ष
डॉ. राधाकृष्णन का जीवन हमें यह सिखाता है कि शिक्षा केवल ज्ञान का संग्रह नहीं है, बल्कि यह मानवता, करुणा और समाज के प्रति कर्तव्य का मार्ग भी है। शिक्षक दिवस केवल उत्सव नहीं, बल्कि शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है।
हम ऐसे महान व्यक्तित्व को सदैव स्मरण करते रहेंगे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन शिक्षा और मानवीय मूल्यों को समर्पित कर दिया।
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