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Major Temples of Shimla : शिमला के प्रसिद्ध मंदिर

Major Temples of Shimla : हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला एक हिल स्टेशन है जो साल भर पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां लोग छुट्टियां बिताने आते हैं। शिमला शहर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। हिमाचल प्रदेश को देवी-देवताओं की भूमि कहा जाता है और यही कारण है कि यहां हर जगह मंदिर बने हुए हैं। यहां, आप भगवान हनुमान, भगवान शिव, देवी काली और सूर्य को समर्पित मंदिर स्थित है। जाखू मंदिर शिमला में भगवान हनुमान का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। शिमला शहर का नाम ही श्यामला देवी मंदिर के नाम पर पड़ा है। आइए जानें कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में।

Major Temples of Shimla : शिमला के 8 प्रसिद्ध मंदिर

भीमाकाली मंदिर- यह मंदिर शिमला के सराहन में स्थित है। सराहन शहर को किन्नौर जिला का मुख्य द्वार भी कहा जाता है। इस शहर का प्राचीन इतिहास है, बुशहर शासकों ने यह मंदिर बनवाया था। मंदिर को विशेष अवसरों पर ही खोला जाता है। यहां देवी की मूर्ति को एक कुंवारी लडक़ी के रूप में पूजा जाता है।

कालीबाड़ी मंदिर- काली माता को समर्पित कालीबाड़ी मंदिर बेटनी हिल पर स्थित है। इस मंदिर में काली माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और इसलिए यह मंदिर श्यामला के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां पर लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। शिवरात्रि पर यहां विशेष आयोजन होता है। कहा जाता है कि शिमला का नाम श्यामला देवी के नाम पर ही रखा गया है।

जाखू मंदिर– शिमला में बना हनुमान जी का यह बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि जब हनुमानजी लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी बूटी लेने गए थे, तब उन्होंने यहां पर ही रुककर विश्राम किया था। तभी से लेकर आज तक यह मंदिर प्रसिद्ध है। यहां पर हनुमानजी की 108 फुट ऊंची प्रतिमा है। जाखू मंदिर धर्मिक पर्यटन के साथ-साथ ट्रैकिंग के लिए भी जाना जाता है।

शिव मंदिर- शिमला के माल रोड पर स्थित शिव मंदिर काफी प्राचीन है। इसमें लगे हुए पत्थर और शिल्पकला बहुत साल पुरानी है। कहा जाता है कि इसमें मौजूद शिवलिंग स्वयं धरती से उत्पन्न हुआ था। मंदिर का निर्माण 1882 में किया गया था। शिव भक्त यहां पर रोज दर्शन के लिए आते हैं। शिवरात्रि पर यहां विशेष आयोजन भी होता है।

संकटमोचन मंदिर- तारादेवी मंदिर के पास ही संकटमोचन मंदिर भी है। इस मंदिर का निर्माण 1962 में हुआ था। यहां पर राम-सीता, लक्ष्मण और भगवान शिव की मूर्तियां भी हैं। मंगलवार के दिन यहां पर विशेष पूजा का आयोजन होता है।

सूर्य मंदिर नीरथ- उत्तर भारत का एकमात्र सूर्य मंदिर रामपुर के नीरथ गांव में बना हुआ है। यह मंदिर लकड़ी से बनाया गया है। यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है और मंदिर के गर्भगृह में पाषाण सूर्य मूर्ति 3 फुट ऊंची और 4 फुट चौड़ी है। इस मूर्ति में भगवान सूर्य को सप्त अश्वों पर सवार दिखाया गया है। मंदिर प्रांगण में बहुत सारे शिवलिंग भी स्थापित किए गए हैं।

तारादेवी मंदिर- पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में देवी तारा की पूजा की जाती है। यह शिमला के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि तारा मंदिर का निर्माण बलवीर सिंह ने करवाया था। इस मंदिर में देवी तारा की लकड़ी की मूर्ति को निर्मित किया गया है। यह शिमला से करीब 12 किमी. दूर है। मंदिर का निर्माण ढाई सौ वर्ष पुराना है।

शिमला के पास नारकंडा के अद्भुत सौंदर्य के बीच बसा है हाटू माता मंदिर, मंदोदरी ने करवाया था निर्माण

हाटू माता मंदिर : हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में बसा नारकंडा प्रदेश के बेहतरीन हिल स्टेशनों में से एक है। यह प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर एक शानदार पर्यटन स्थल है। नारकंडा चारों ओर फैली सफेद बर्फ से ढकी गहरी घाटियों के लिए प्रसिद्द है। यहां प्रकृति की अद्भुत छटा देखने लायक होती है।

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प्रकृति की इसी खूबसूरती के बीच नारकंडा के हाटू पीक पर प्रसिद्ध हाटू माता का मंदिर स्थापित है। बर्फ से लदी पहाड़ियों और चारों तरफ प्रकृति के सौंदर्य से घिरा यह पवित्र स्थल देवी मां काली को समर्पित है। मंदिर का निर्माण विशिष्ट हिमाचली वास्तुकला में किया गया है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 12,000 फुट है। यह शिमला की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है।

हाटू माता मंदिर को लेकर मान्यता है कि मंदिर का निर्माण रावण की पत्नी मंदोदरी ने करवाया था। वैसे तो यहां से लंका बहुत दूर है, लेकिन इसके बावजूद वह अक्सर यहां माता के दर्शन और पूजा करने के लिए आया करती थी। बताया जाता है कि मंदोदरी हाटू माता की बहुत बड़ी भक्त थी। वहीं एक मान्यता यह भी है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान हाटू माता मंदिर में काफी समय बिताया था।

पांडवों ने यहां पर माता की कठिन तपस्या और उपासना कर शत्रुओं पर विजय पाने का वरदान प्राप्त किया था। उस समय की प्राचीन शिला आज भी हाटू पीक पर साक्ष्य के रूप में मौजूद है। मंदिर के पास ही तीन बड़ी चट्टानें हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि ये भीम का चूल्हा है। जहां आज भी अगर खुदाई करने पर जला हुआ कोयला मिलता है, जिससे पता चलता है कि पांडव इस जगह पर खाना बनाया करते थे।

हाटू माता मंदिर में हर साल ज्येष्ठ महीने के पहले रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दिन को हाटू माता मंदिर की स्थापना के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यहां विशाल मेला भी लगाया जाता है। मान्यता है कि हाटू माता मंदिर में आकर जो श्रद्धालु सच्ची भक्ति से मां हाटू माता के दरबार में पहुंचता है, उसकी हर मनोकामना दुख, दर्द, दरिद्र दूर हो जाते हैं।

हाटू माता मंदिर से राजों और रजवाड़ों का पूर्वजों के समय से खास लगाव रहा है। आज भी देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की हाटू माता के प्रति गहरी आस्था है। हाटू माता मंदिर आने वाले श्रद्धालु नारकंडा के ही एक अन्य लोकप्रिय महामाया मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं।

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